Monday, October 26, 2009

परमाणु बम को अभिनंदन (तुम मत फटना ..)

आदरणीय भाईसाहब
सादर चरण स्पर्श

यदि सपने देखना गुनाह है तो हां मै भी अपना नाम गुनहगारों की लिस्ट में लिखवाने को तैयार हूं, अगर सपनॆ सजाना कोई पाप है तो मै इस पाप को मरते दम तक करने को तैयार हूं , अगर अपने सपने सच करने की कला पाखंड है तो मै अव्वल दर्जे का पाखंडी हूं, आप जो भी चाहे कह लें जितना जी चाहे मेरे खिलाफ आवाज उठायें कम से कम मेरे जहन में एक सपना ऎसा है जो मै समझता हूं सारी दुनिया का सपना होना चाहिये, हर शख्स की आंखों मॆं एक ऎसी चमक हो कि उनकी आंखों में मुझे अपना यह सपना साकार होता दिखे। क्या है मेरा वह सपना - आइये हम सब मिल कर देखते है -

हां, मैने भी सपना देखा है
सपना संभव नही दिखता है
फिर लगता दुष्कर है कितना
है सपना मेरा अनिवार्य अटल

क्या सपना है यह बस अपना
यह सपना नही मेरा अपना
सपना है यह जग का सपना
परमाणु बम तुम मत फटना ..

मानव मानव का हनन करें
दानव बन कर विध्वंश रचे
पर विनाश से आस रखे
परमाणु बम मेरे प्यारे .. (तुम मत फटना)

क्या सपना यह मेरा अपना है
उन देशो कों पलक झपकना है
बस सत्य राम नाम जपना है
फिर अणु की अग्नि में तपना है ..

क्या हम भूल गये वह दिन
जब मरे थे मानव वे गिन-गिन
जब रुह कांपती थी पल-छिन
हिरोशिमा-नागासाकी करके सुमिरिन ..

हे वत्स अमित-ओबामा बन
कोई ख्वाब देखता है ये मन
परमाणु बम पर हो बंधन
जीवन में फिर हो स्पंदन ..

मै अभय नही ना अमृत हूं
ना शांति दूत ना दैवत हूं
हां मानवता का सेवक हूं
इस धरती का शुभ-चिंतक हूं ..

परमाणु बम तुमको अभिनंदन (तुम मत फटना ..)

अभय शर्मा

Post Script:
I know even if I do the translation of this poem.. which has not come as well in Hindi itself.. I beg your pardon.. I shall not attempt a translation myself.. if someone could feel that Abhaya Has a dream to put a ban on Nuclear weapons by any means.. Let me tell you that I assign this task to two men one who has raised his voice in no uncertain terms.. has also been probably awarded Nobel Peace for that reason.. he is the president of the most powerful country on this earth.. Friends welcome the second name with a great applause.. he is our own brother.. our own family member.. our own Amitabh Bachchan.. who is most charismatic and a highly capable person when it comes to enact a role.. Let us have a dream to unarm nuclear bombs or weapons from this earth for forever..

Love is Unclear but Not like a nuclear (Bomb)
Abhaya Sharma
October 26 2009
Belated UNO Day Wishes to those who may not have noticed it on 24th October..


Wednesday, October 21, 2009

Respected Brother
Sadar Charan Sparsh
Yesterday when I wanted to submit the poem.. I could not do it.. and today when I did.. I had modified it.. I realise the important points which were not made part of my submission are reproduced here..
नही नही कविता ऐसी तुम नही लिखो
कुछ भी चाहे कहो गरीब से मगर डरो
उसकी दुविधा मजबूरी का ख्याल रखो
नही जगत में वैभव कोई संग लाया था
और नही कुछ कोई वापस ले जायेगा
भोले मानुस भोलापन तब काम आयेगा
जग को जितना तू देगा दुगुना पायेगा
….
कुछ एक पंक्तियां मुख्य कविता में इस प्रकार थीं
मन में उत्कंठा थी मेरे
था दिल में हाहाकार
कोई राह दिखाने वाला
नही मानव था तैयार
सिग्नल हरा हुआ जिस पल
तब पीछे छूट गया संसार
सांस सांस से कहती थी
क्यों बेबस हैं सरकार
नही प्रतीक्षा कभी बुरी थी
ना जलसा कोई बेकार
रह जायेगा यहीं धरा
क्या ले जाओगे पार ।


नही, नही भाई यह व्यंग नही है यह तो आपके मन की व्यथा है, आप चाह कर भी उन लोगों कि कोई मदद नही कर पाये, आपके तर्क से मै सहमत होना चाहता हूं पर हालात मुझे कुछ और कहने पर मजबूर कर रहे हैं, आपका आभारी हूं कि आपके ज़रिये कुछ ऐसे लोगों को जानने- मिलने का अवसर मिल सका जिसकी शायद मैने कभी कल्पना भी नही की थी । मेरे प्रयास से अगर कुछ लोगों का दिल बहलता है तो मेरा भी दिल यहां लगा ही रहेगा ।


दिल बहल तो जायेगा
इस खयाल से
हाल मिल गया तुम्हारा
अपने हाल से …

The link for my friends who may like to listen to this beautiful Khamoshi song..
http://www.youtube.com/watch?v=6T0xrV4BHG0
I wish I could translate this song for Rose, Carla, Zhenya and Renate.. and many more yes Rochelle too would like it.. May I request you Sudhir to take this opportunity to please me.. for once.. not for me but for some of my very very dear friends who do not understand Hindi.. Hemant Kumar has sung many good songs but this one is probably his best..
Love you and Love you all
Abhaya Sharma
October 21 2009

बेबस और लाचार

खड़ा था एक चौराहे पर
अपनी गाड़ी को रोक कर
देख रहा था हाथ पसारे
कुछ बूढॆ-बच्चे भीख मांगते

सोच रहा था अपने मन में
क्या उन्हे मिलेगा जो मै दूंगा
किसी की झोली में सुख भर दूं
कैसे दूर दुख इनके कर दूं

क्या जो भी इनके हाथ लगेगा
नही कोई दूसरा हथिया लेगा
क्या इनका भला कभी भी होगा
नही हो पाता मुझे भरोसा

सांस सांस से कहती जाती
भाई कुछ कर दो उपकार
भीख मांगने का भारत में
किसने, लगा दिया बाज़ार

मन में उत्कंठा थी भय था
और दिल में थी चीख-पुकार
भटक रहा व्याकुल मन कहता
हे भगवन क्या खूब रचा संसार

रह जायेगा यहीं धरा सब
कोई भी क्या ले जायेगा पार
फिर कैसे बिक जाते जग में
भूखे-प्यासे और बेबस लाचार ।


अभय शर्मा
20 अक्टूबर 2009 11.55

Sunday, October 4, 2009

जलमग्न नगर - अभय शर्मा

जलमग्न नगर!

जहां भी देखा जिधर भी देखा
जल ही जल था भरा हुआ
इधर भी जल और उधर भी जल
थल था या जल का शोला था

पीकर प्यासा प्यास बुझाये
यह वह अमृत जल ना था
कभी जीवन देने वाला यह जल
था चला ले चला जीवन के पल

नदी की सीमाऒ को चीर
दानव था अब बन गया नीर
नही बख्शा बच्चॊं बूढॊं कॊ
जल निगल गया बन गया तीर

है आस टूट गई अब सबकी
अब सांस रूठ गई है कबकी
कोई बहा जा रहा किसे खबर
था शॊकातुर जलमग्न नगर

यह कैसी प्रभु तेरी लीला
जल का क्यॊ ऎसा रूप रचा
मानवता से क्या बैर तेरा
क्यॊं जल ने काल का रूप धरा

जीवन में जल की महिमा थी
क्यॊ जल जी का जंजाल बना
कल तक जिसकॊ हमने पूजा
क्यॊं आज हमॆ वह ग्रास गया

हे बंधु मेरे हे सखा मेरे
जाऒ उस मां से मिल आऒ
खॊ गया लाल जिनका जल में
कर गया हमारे नयन सजल

आंखॊ में भर लो सारा जल
यह थल न हो फिर से जल-जल
शंकर चल जटा बांध ले चल
विष की गागर ना बने ये जल

मेरे ईश्वर मेरे भगवन
पूजेगा तुमकॊ मानव तन
कुछ दया करॊ कहता है मन
जल पीडा़ का अब करॊ हरण

अभय शर्मा, भारत, 5 सितबंर 2008, 00.05 घंटे